’अष्टांग हृदयम’ एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक ग्रंथ है जिसे वाग्भट्ट द्वारा लिखा गया है। यह ग्रंथ आयुर्वेदिक चिकित्सा के आठ अंगों (अष्टांग) का वर्णन करता है:
कायचिकित्सा (आंतरिक चिकित्सा)
बालचिकित्सा (बाल चिकित्सा)
ग्रहचिकित्सा (मानसिक रोग चिकित्सा)
ऊर्ध्वांग चिकित्सा (कान, नाक, गला, आँख चिकित्सा)
शल्यचिकित्सा (सर्जरी)
दंष्ट्राचिकित्सा (विष चिकित्सा)
जराचिकित्सा (वृद्धावस्था चिकित्सा)
वृषचिकित्सा (प्रजनन चिकित्सा)
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